लगा के आग शहर को , ये बादशाह ने कहा उठा है दिल में तमाशे का आज शौक़ बहुत झुका के सर को सभी शाह - परस्त बोल उठे हुज़ूर शौक़ सलामत रहे , शहर और बहुत ! इस लेख के उपलिखित शीर्षक को पढ़ कर घबराइए नहीं, क्योंकि यह एक व्यंग्य है, पर यही नोटबंदी की सच्चाई भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसी सत्यपूर्ण ज़िम्मेदारी कभी नहीं ली, पर "दिल को बहलाने को ' ग़ालिब ' ये ख्याल अच्छा है.... !" नोटबंदी द्वारा मोदी जी ने जनता को जिस तरह से सताया है , उस महा - धोखे की भरपाई , इतिहास में शायद ही कोई कर सके। जिस तरह से मोहम्मद बिन तुग़लक़ अपनी सनक भरी योजनाओं के लिए जनता के हितों से खिलवाड़ करता था , उसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की 125 करोड़ जनता को नोटबंदी के आनन - फ़ानन भरे फैसले से सस्ती राजनैतिक वाहवाही बटोरने के लिए ठग लिया है। नोटबंदी के बाद तो अब सनकी मोहम्मद बिन तुग़लक़ भी सोच रहा होगा कि उससे बड़ा सनकी अब भारत की धरती पर अवतरित हो गया है ! ...